Rekha mishra

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लेखनी कहानी -22-Nov-2021

            बाल विवाह 


                   बेटी ना हुई समान हो गया 
हम जिस समाज में रहते है उसका एक पक्ष काफी त्याग बलिदान शौर्य से भरपूर है ओर एक पक्ष  जिसका  हिस्सा होने में शर्म आती है, काश कि ऐसा कुछ कानून बनाया जाए के ऐसे अमान्य तत्व जो समाज को बुराईयों से घेर रहें है दूर हो जाए।
    कहानी है एक  फूल सी प्यारी बच्ची  पूनम की जिसका कसूर सिर्फ ये था कि वो लड़की है, अभी तो पढ़ने जाने लगी थी रहती शहर में लेकिन संयुक्त परिवार जी हाँ एक गुनाह ये भी था उसका जहाँ परिवार की इज़्ज़त ही सब होती है बच्ची चढ़ा दो शादी की  सूली पर कोई गम नहीं बच्ची की उम्र मात्र 15 साल0 उसे दुनिया के भले बुरे की समझ नहीं माँ बाप की लाडली दिखने में बहुत ही सुंदर आते जाते लोगों की निगाह उस पर रहती थी ।  तो गली के कुछ बदमाश लड़के उसे घूरते गाने गाते, उसे ये बुरा लगता उसने घर में बताया, तो उनके दादाजी जो मुखिया थे अपना फैसला सुनाते है पढ़ाई छुड़ा दो लड़की घर ही रहे, बच्ची की माँ मिन्नतें करती है पढ़ने दो पर कोई ना सुनता, लड़की का बाप पिता की खिलाफ जा नहीं सकता, ये है हमारा समाज के जहाँ बाप बच्चों की जिंदगी सिर्फ इसलिए उजाड़ देता है कि बड़े बुरा ना मान जाए, ऐसे पिता को पिता बनने का हक ही नहीं  जो अपने बच्चों के लिए समय पर खड़ा हो पाए, अभी तो एक पहाड़ टूटना बाकी था जिसको शादी बोला जाता है, बच्ची और उसकी माँ को पता चला के दादाजी लड़का ढूँढ रहे है बच्ची बिचारी डरने लड़की माँ मैं शादी नहीं करना चाहती छोटी हूँ मैं माँ बच्ची की तकलीफ समझती क्यूंकि वो इस दर्द से गुजरी थी तो नहीं चाहती थी ये हो, उसने अपने पति को समझाया पर कोई फायदा ना हुआ, दादाजी का पूरा फोकस के अच्छे घर पर था  ना की लड़के पर तो अपनी समझ से लड़का देखा लड़का 5 वी पढ़ा हुआ,थोड़ा अय्याश किस्म का  भी माँ को जब पता चला उसने विरोध किया तब उसे भी मारा गया, माँ  खुद इस चीज को भोग चुकी थी तब उसने निश्चय कर लिया बेटी को बचाना ही है उसी रात दोनों माँ  बेटी घर छोड़ कहीं दूर चले गए वहाँ जाकर नई शुरुआत की माँ घर का काम करती और बेटी ,ताकि बेटी को पढ़ा पाए, अखिर वो  दिन आया  जब माँ की  मेहनत बेटी की पढ़ाई  रंग लायी बच्ची एक अच्छी कंपनी में नौकरी करने लगी,माँ के लिए घर लिया और कुछ समय बाद एक अच्छे लड़के से विवाह, ये सब  हुआ माँ के साहस के कारण, तो हर माँ बेटी के आगे ढाल बन खड़ी हो उसे वो ना भोगने दे जो आपने भोगा, नारी है सब पर  भारी काफी गहरी सोच छिपी हुई है इस  पंक्ति के पीछे। 


By-Rekha mishra 

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5 Comments

Swati chourasia

22-Nov-2021 08:51 PM

Very beautiful 👌

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Rekha mishra

22-Nov-2021 09:08 AM

Now u can read full story.

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Rekha mishra

22-Nov-2021 08:55 AM

Something issues r there ,i already posted my full story,sorry to all,wait i do something,

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